शायरी में है मेरा नाम या बदनाम है मेरा,
खुदा का शुक्र है कुछ रह गया गुमनाम है मेरा ;
कई किस्से हकीकत में कई हालात में बदले ,
मगर इस बार लगता दिल हुआ नाकाम है मेरा.
कि मुझको चाहनेवालों ज़रा ऐसी दुआ करना ,
जिसे मैं चाहता हूँ सीख ले मुझसे वफ़ा करना .
खुदा का शुक्र है कुछ रह गया गुमनाम है मेरा ;
कई किस्से हकीकत में कई हालात में बदले ,
मगर इस बार लगता दिल हुआ नाकाम है मेरा.
कि मुझको चाहनेवालों ज़रा ऐसी दुआ करना ,
जिसे मैं चाहता हूँ सीख ले मुझसे वफ़ा करना .
बहुत सुन्दर प्रस्तुति .बधाई . . हम हिंदी चिट्ठाकार हैं.
ReplyDeleteBHARTIY NARI .
एक छोटी पहल -मासिक हिंदी पत्रिका की योजना
dhanyawaad!shikhaajee.
ReplyDeleteपांडे जी, लिखना क्यों कम कर दिया आपने... अच्छी रचनाएं लिखते हैं... जारी रखें... इंतजार में हूं....
ReplyDeletelikhoongaa .
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