Wednesday, December 14, 2011

उदासियाँ चली गयीं

वो दर्दे दिल के दौर की उदासियाँ चली गयीं ।
वो बारिशें चली गयीं , वो आंधियाँ चली गयीं ।

जो आंसुओं में ढालते थे दास्तान निगाह की
वो रंजो गम चले गए , वो स्याहियाँ चली गयीं ।

वे दिन तुम्हारे प्यार के भी आज अजनबी हुए
बहार वो चली गयी ,वो वादियाँ चली गयीं ।

रहा गिला नहीं मगर ये हसरतों को क्या हुआ
जो छोड़ अपना दर न जाने क्यों कहाँ चली गयीं ।

Tuesday, July 26, 2011

थरथराती उदासियाँ लेकर

थरथराती उदासियाँ लेकर , तेरी यादों की दास्ताँ लेकर ,
जा रहे गुमशुदा जमाने से , जैसे मुट्ठी में अपनी जाँ लेकर ।
मैंने सजदे किये बताऊँ क्या , नाम तेरा कहाँ - कहाँ लेकर ,
चुभती आंखों में हैं कई सपने , बिखरे शीशे का एक जहाँ लेकर ।
वैसे तन्हा चले थे महफ़िल से , अपनी आहों का आसमाँ लेकर ।
पास आती है बारहा ये हवा , तेरी साँसों की दास्ताँ लेकर ।

Saturday, July 23, 2011

जब से सुधरे

जब से सुधरे हुए जानम मुझे जमाने हुए ,
तब से सचमुच बड़े बेखौफ ये पैमाने हुए ।
सुबह से दोपहर तक मुझको आया ही न शहूर ,
शाम ढलने लगी तो जिन्दगी के माने हुए ।
गुजर गए मेरी गलियों से अजनबी की तरह ,
कभी अपने थे वो जो आजकल बेगाने हुए ।
दर्दे दिल का न अब कोई नया अंदाजे बयां ,
यार बब्बर के सारे शेर अब पुराने हुए ।
न कोई शुक्रिया , न दाद ,वाह! वाह! नहीं ,
जिन्दगी हम तो तेरे दर्द के दीवाने हुए ।

Saturday, June 25, 2011

न जाने कब

न जाने क्या हुआ कैसे कहाँ पर खो गयी कविता ।
गर्म इस दोपहर में छोड़ मुझको सो गयी कविता॥

अभी तो वक्त था कि साथ मिलकर गुनगुनाते हम ।
दरख्तों के घने सायों को अपना घर बनाते हम ॥
कैद अनजान कमरे में किसी क्यों हो गयी कविता ।
न जाने ............................................................... ॥

जरा आवाज देकर देखना तेरे मनाने से ।
कहीं आ जाय फिर बाहर वो जादू इक बहाने से ॥
कहीं जलकर नहीं देखो तुम्हीं से तो गयी कविता ।
न जाने ........................................................................ ॥

कभी मैं सोचता हूँ यह भला कैसी पहेली है ।
ये कविता दोस्त है मेरी ,कि यह तेरी सहेली है ।
हमारे बीच धागे प्रेम के क्यों बो गयी कविता ।
न जाने ................................................................................ ॥

Friday, June 3, 2011

उदास

छूना चाहती है मुझे


कोई उदास छट पटाहट ,


लेकर तेरा नाम तन्हाइयों में


उतर आती है


एक चिरसंगिनी की तरह


थाम लेती है


मेरा दामन ।



लोग कहते हैं


बचो इन उदासियों से


पर


मैं विवश हूँ ;


इन उदासियों में तेरी खुसबू है


एक अनमोल


दौलत की तरह हैं


मेरे पास


तुमसे मिली


ये उदासियाँ !

Tuesday, May 10, 2011

कभी मिलना बहाने से

कभी मिलना बहाने से निगाहें चार हो जाना ,
किसे मालूम था मुमकिन है इतना प्यार हो जाना ?
कहाँ है वो ख्यालों का मेरा मौसम सुहाना -सा ,
कहाँ है गुल , कहाँ गुल से गुले गुलजार हो जाना ?
तम्मनाओं की महफ़िल उठ गयी बस एक है बाकी ,
शम्मा बुझ जाने से पहले तेरा दीदार हो जाना ।
बड़े बेदर्द हो पर दर्द देकर ही गए दिल को ,
ग़ज़ल है देखती उस दर्द का दिलदार हो जाना ।

Saturday, April 23, 2011

तडपता छोड़कर जाना

कभी आकर तेरा मुझको तडपता छोड़कर जाना ,
मुझे है याद अबतक वो तेरा मुंह मोड़कर जाना ।
मेरे आंसू , मेरी आहों का मतलब क्या निकलता है ?
बड़ा आसान था तेरे लिए दिल तोड़कर जाना ।
बुझा दो फूँक से अपनी हमारी जिन्दगी की लौ ,
कहाँ तक ठीक है इसको फडकता छोड़कर जाना ?
तेरी तस्वीर आँखों में , महक तेरी ही साँसों में ,
अदाओं पे तेरी दिल को धडकता छोड़कर जाना ।

Saturday, March 12, 2011

ये जलजला कहाँ से आता है ?

(यह गीत जापान के लिए मेरा सांत्वना संदेश है । गीत में प्रयुक्त शब्द 'बब्बर' मेरा साहित्यिक उपनाम है । )

ये जलजला कहाँ से आता है ?
दिल जमीं का भी काँप जाता है ।

जब कोई आशियाँ उजड़ता है ,
एक परिंदे की याद आती है ;
तिनका तिनका बटोर कर कोई
अपना एक घोंसला बनाता है । ये जलजला ........ ॥

अय समंदर की लहर तूफानी ,
ये कैसा संगदिल हुआ पानी !
एक अरसे में जो बनता है शहर
एक पल में ही डूब जाता है । ये जलजला .......... ॥

यार बब्बर , कहर ये कुदरत का ,
जैसे हो एक झलक क़यामत का ;
कितना नादान है मगर इन्सां
खुदा का खौफ भूल जाता है । ये जलजला .......... ॥

Saturday, February 12, 2011

तू खयालों में राह करती है

तू खयालों में राह करती है ,
मेर दिल को तबाह करती है ।
दिल तेरी आग में धधकता है ,
पर तू खुशियों की आहें भरती है ।
जब भी जलता है कोई परवाना
शम्मा बस वाह-वाह करती है ।
ये मोहब्बत की दास्ताँ कैसी
जो दिल ओ जान पे गुजरती है ।

Thursday, February 10, 2011

पास आकर मेरे गीत गाया करें

ईन हवाओं से है आरजू ये मेरी ,

तेरी जुल्फों से खुशबू चुराया करें ।

जब बदन छूके तेरा ये मदहोश हों

पास आकर मेरे गीत गाया करें ।

इन हवाओं से ............................. ।

मैं मुकद्दर पे इसके फ़िदा हो गया ,

पास जाने से तेरे ये क्या हो गया !

धूप छूकर तुझे आज सोना बनी ,

अब जमीं आसमां को सजाया करे ।

इन हवाओं से .............................. ।

तेरे दम से है साँसों का ये सिलसिला ,

फूल उल्फत का है मेरे दिल में खिला ।

अपनी आँखों के भौरों से कह दो कभी

इश्क के फूल को चूम आया करें ।

इन हवाओं से ............................. ।

Friday, February 4, 2011

दिल हमारा है जरा दीवाना

दिल हमारा है जरा दीवाना ,
गर बहक जाए दिल दुखाना क्या ?
तेरी नज़रों से पिघल जाता है ,
इसको आहों से आजमाना क्या ?
तेरे घर खुद ही गवां आऊंगा ,
कोशिशों से इसे चुराना क्या ?
मेरे अंदाजे बयां हैं कैसे
किसी रकीब से बताना क्या ?
जो बन सके तो कभी आ के मिलो
एक बीमार को बुलाना क्या ?

Sunday, January 30, 2011

लग रहा है यूँ लाजबाब कोई

लग रहा है यूँ लाजबाब कोई ,
जैसे खिलता हुआ गुलाब कोई ।
चौदवीं रात बादलों में छुपा
झांकता है ज्यों माहताब कोई ।
मखमली दूब पे पसरता ज्यों
सुबह सुबह का आफताब कोई ।
मेरी आँखों में यूँ उतरता है
दिल में ज्यों मचलता हो ख्वाब कोई ।
लग रहा है यूँ लाजबाब कोई ,
जैसे खिलता हुआ गुलाब कोई ।

Thursday, January 6, 2011

अभी तो धुंद है

सुबह यह सर्द है ,
धुंद है भारी ,
भटकती सूर्य की किरणें
कहीं पर खो गयीं हैं ।
बुझा चल फ़ोन (मोबाइल ) पर अपने
अभी एलार्म की घंटी
ये बालाएं पुनः
सुख नींद-सी में
सो गयी हैं ।
आपकी याद आती है
लिए एक ताजगी -सी ;
कहीं पर आप भी होंगी
यूँ ही आधी जगी -सी ।

कुहासा है मगर
कुछ पक्षियों के पर
पुनः हिलने लगे हैं ।
ख्यालों में ही शायद
आप-हम मिलने लगे हैं ।

तुरत अब धूप होगी
दूब पर मोती बिछे होंगे ,
अगर हम मिल गए तो
जिन्दगी के सिलसिले होंगे।