Sunday, December 23, 2012

बार-बार एक उत्सुकता से मैंने उसे उठाया है,
ऐसे क्यों लगता है जैसे फ़ोन तुम्हारा आया है।
तेरा मेरा मिलना - जुलना सिर्फ मुसाफिरखाने तक
फिर मेरी पागल पलकों ने क्यों यह स्वप्न सजाया है।
इन नज्मों के अल्फाजों में चाहे लाख छुपाऊं मैं ,
किन्तु ज़माना पूछेगा क्या दिल को मर्ज़ लगाया है।
ऐसी ही हो अगर उधर तो एक ईशारा  कर देना ,
मैं समझूंगा खुद को खोकर मैंने भी कुछ पाया है। 

Sunday, July 15, 2012

तेरी तन्मयता का कोई रहा राज गहरा होगा ,
दूर ख्यालों का एक सागर कहीं शांत ठहरा होगा .

ऐसा भी एक दिन आयेगा दीवानों की बस्ती में
गली-गली को कौन पूछता , साँसों पर पहरा होगा .

जिसकी आँखों के आगे बस झील दिखाई देती है ,
उसकी चारों ओर  यकीं  मानो केवल सहरा होगा .

दूरी या फिर अब्र कह्कसाँ  रहे रोकते हों लेकिन ,
अंगडाई लेती दरिया में चाँद रात उतरा होगा .

वैसे तो जो मिले कभी थे , टीस  नहीं उनकी बाकी ,
एक जख्म सहला कर देखो  लेकिन कहीं हरा होगा .

अरसे से अपनी प्यासों को पीकर हूँ मयखाने में ,
पैमाने को लगता है जी मेरा किन्तु भरा होगा .

देखा था लोगों ने वह तो सपने में मुस्काता था ,
लम्हा तेरे साथ एक शायद कोई गुजरा होगा .

मेरा दिल जो नहीं सुन सका तेरे नगमों की दस्तक ,
खोया था वह नहीं कहीं बस थोडा-सा बहरा होगा .

आता हूँ नित यही सोचकर अंतर्नत (इन्टरनेट) के आँगन में ,
मिल जाएगा कोई साथी जो भूला बिसरा होगा . 

Sunday, July 8, 2012

रात बिजली की हर कड़क
ऐसे लगी जैसे मेरी किस्मत
मेरी अन्यमनस्कता पर चीख रही हो
अपनी दांतों  से दीवारों को झलकाते हुए .

हवा यूँ भटकती रही जैसे
कोई अभिसारिका अपने
प्रेमी की खिड़कियाँ थपथपा रही हो .

बूंदों की बौछार मेरे मन पर
पुराने पड़े सपनों की मैल धोती रही
और मैं एक निस्तब्ध समाधि में
जगा रहा . 

Thursday, May 10, 2012

mere dil kee

मेरे खाबों की मलिका हो , रानी हो तुम ,
मेरे दिल की तमन्ना पुरानी हो तुम .   

मैं मुकम्मल बहारों को बाँहों में ले ,
चलता आया हूँ तुमको निगाहों में ले .
मेरे जीवन की अंतिम जवानी हो तुम ,
मेरे दिल की ................................ .. 

चाँद-तारों से भी खूबसूरत हो तुम ,
एक लचकती मचलती सी मूरत हो तुम .
मेरे यौवन की अंतिम रवानी हो तुम .
मेरे दिल की .................................... .. 

मोरनी - हिरनियों सी चहकती हो तुम ,
सौ गुलाबों -सी हर पल महकती हो तुम . 
मेरी साँसों की सरगम सुहानी हो तुम .
मेरे दिल की ...................................  .. 

यूं तितलियों, परिंदों -सी उडती हो तुम ,
मेरी आहों को सुन-सुन के  मुडती हो तुम .
रंगे उल्फत की अंतिम निशानी हो तुम ,
मेरे दिल की ..................................... ..


तुम किसी रोज ऐसी भी जुर्रत करो ,
लब को लब से मिलाने की हिम्मत करो .
मैं तुम्हें यूं जकड़ता ,पकड़ता रहूँ 
और तू खुद को छुडाने की शिद्दत करो .

उम्र के दूर जाने से  पहले मिलो 
मेरे पतझड़ के आने से पहले मिलो . 
एक हसीं शोख चंचल कली हो मगर 
मेरी बाहों की शाखों पे आकर खिलो . 
इश्क की मेरी अंतिम कहानी हो तुम .
मेरे दिल ........................................ .. 

Tuesday, April 3, 2012

मुझे चाह केवल तेरी है

उन्हें समझने दो जो समझें ,
मुझे चाह केवल तेरी है ।
औरों की राहों को छोडो ,
मुझे राह केवल तेरी है ॥

Saturday, March 24, 2012

तू न मिलना

तू न मिलना मेरे दामन से जमाने की तरा ,
चाहता आया हूँ मैं तुझको दीवाने की तरा ।
तेरी तनहाइयों के और कई साथी हैं ,
अपनी खामोशियों में मैं हूँ बेगाने तरा ।
ऐसा लबरेज हूँ जानम कि तेरे छूने से ,
छलक उठूंगा एक नादान पैमाने की तरा ।

Tuesday, March 6, 2012

तुम तुम हो

उस दिन
अपराह्न -सा
और मौसम वासंती
कुछ-कुछ उसी दिन सा बस
और तुम्हारी सुडौल , पतली पर मजबूत एवं लचीली
स्निग्ध एवं शीतोष्ण त्वचा वाली कमर को अपनी दोनों हथेलिओं
में संभाले
तेरी अपलक उद्दात चितवन को निहारता
यह सोचने लगा था कि
तुम सिर्फ देह नहीं हो ।
फिर लगा
मैं गलत हूँ ।
जब देह तुम्हारी हो
तो
उसके आगे
'सिर्फ ' लगा देने का दुस्साहस
कम -से-कम मैं तो नहीं कर सकता ।
तुम तुम हो ।

Monday, February 20, 2012

तमन्नाओं की महफ़िल में

तमन्नाओं की महफ़िल में तुम्हारी पेशकदमी से
मेरे दिल का धडक जाना बता तुमको लगा कैसा ।
तुम्हारी जुस्तजू चलती रहेगी उम्र भर शायद
दिल को खाबों से बहलाना बता तुमको लगा कैसा ॥

तू वैसी शय है जिसके वास्ते जीने के माने हैं
तुम्हें तो हम समझते हैं न कि वे जो सयाने हैं ।
तुम्हारी राह में उलझी निगाहों की खुमारी को
बहुत कुछ लोग कहते हैं , बहुत कुछ लोग जाने हैं ॥

तुम्हारे जुल्फ की खुशबू नहीं कोई चुरा सकता
तुम्हारा हो गया है जो वही बस इसको पा सकता ।

यही तो चीज है जिसके लिए मयखाने होते हैं
छलकते जाम होते हैं और पैमाने होते हैं ।

झलक अपना दिखाई हो तो बस इतना सिला करना
मेरे खाबों में ही पर रोज तुम मुझसे मिला करना ।
तेरी चाहत में अपनी भी कलम को आजमाऊँ मैं
खुदा के वास्ते जानम शुरू वह सिलसिला करना ॥

Monday, January 9, 2012

चंद लम्हे

चंद लम्हे ही सही तेरा -मेरा साथ चले ,
जब भी यारों में चले , तेरी-मेरी बात चले ।
लोग हँसते रहें , खामोश हम अकेले में ,
देखते जाएँ जो तूफ़ान और बरसात चले ।
बस एक बार ठहर जाओ मेरी बाहों में
अब्र में चाँद जो चाहे तो सारी रात चले ।
और बब्बर तुम्हें क्या चाहिए जमाने में
जब तलक चल सके ये पागले हालात चले ।