Wednesday, December 14, 2011

उदासियाँ चली गयीं

वो दर्दे दिल के दौर की उदासियाँ चली गयीं ।
वो बारिशें चली गयीं , वो आंधियाँ चली गयीं ।

जो आंसुओं में ढालते थे दास्तान निगाह की
वो रंजो गम चले गए , वो स्याहियाँ चली गयीं ।

वे दिन तुम्हारे प्यार के भी आज अजनबी हुए
बहार वो चली गयी ,वो वादियाँ चली गयीं ।

रहा गिला नहीं मगर ये हसरतों को क्या हुआ
जो छोड़ अपना दर न जाने क्यों कहाँ चली गयीं ।