Thursday, May 30, 2013

shaayaree mein

शायरी में है मेरा नाम या बदनाम है मेरा,
खुदा का शुक्र है कुछ रह गया गुमनाम है मेरा ;
कई किस्से हकीकत में कई हालात में बदले ,
मगर इस बार लगता दिल हुआ नाकाम है मेरा.

कि  मुझको चाहनेवालों ज़रा ऐसी दुआ करना ,
जिसे मैं चाहता हूँ सीख ले मुझसे वफ़ा करना .

4 comments:

  1. पांडे जी, लिखना क्यों कम कर दिया आपने... अच्छी रचनाएं लिखते हैं... जारी रखें... इंतजार में हूं....

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