(यह गीत जापान के लिए मेरा सांत्वना संदेश है । गीत में प्रयुक्त शब्द 'बब्बर' मेरा साहित्यिक उपनाम है । )
ये जलजला कहाँ से आता है ?
दिल जमीं का भी काँप जाता है ।
जब कोई आशियाँ उजड़ता है ,
एक परिंदे की याद आती है ;
तिनका तिनका बटोर कर कोई
अपना एक घोंसला बनाता है । ये जलजला ........ ॥
अय समंदर की लहर तूफानी ,
ये कैसा संगदिल हुआ पानी !
एक अरसे में जो बनता है शहर
एक पल में ही डूब जाता है । ये जलजला .......... ॥
यार बब्बर , कहर ये कुदरत का ,
जैसे हो एक झलक क़यामत का ;
कितना नादान है मगर इन्सां
खुदा का खौफ भूल जाता है । ये जलजला .......... ॥
sir ye kayamat aur kuda ki kauf waali baat dil ko chhuu gayi.
ReplyDeleteitni achhi kavita ke liye dhanyawaad
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ReplyDeletesundar chitran
ReplyDeleteabhisek , shikhaji aur darshanji, bahut bahut dhanywaad !
ReplyDeleteएक अरसे में जो बनता है शहर
ReplyDeleteएक पल में ही डूब जाता है ।
क्या बात है। वशीर बद्र की रचना है।
उम्र बीत जाती है, एक घर बनाने में।
तुम तरस नहीं खाते, बस्तियां जलाने में।