ईन हवाओं से है आरजू ये मेरी ,
तेरी जुल्फों से खुशबू चुराया करें ।
जब बदन छूके तेरा ये मदहोश हों
पास आकर मेरे गीत गाया करें ।
इन हवाओं से ............................. ।
मैं मुकद्दर पे इसके फ़िदा हो गया ,
पास जाने से तेरे ये क्या हो गया !
धूप छूकर तुझे आज सोना बनी ,
अब जमीं आसमां को सजाया करे ।
इन हवाओं से .............................. ।
तेरे दम से है साँसों का ये सिलसिला ,
फूल उल्फत का है मेरे दिल में खिला ।
अपनी आँखों के भौरों से कह दो कभी
इश्क के फूल को चूम आया करें ।
इन हवाओं से ............................. ।
achchha likhate hain aap ...kripya settings me jakar word verification hata len...coment karne men priblem hoti hai...aabhar....
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