तमन्नाओं की महफ़िल में तुम्हारी पेशकदमी से
मेरे दिल का धडक जाना बता तुमको लगा कैसा ।
तुम्हारी जुस्तजू चलती रहेगी उम्र भर शायद
दिल को खाबों से बहलाना बता तुमको लगा कैसा ॥
तू वैसी शय है जिसके वास्ते जीने के माने हैं
तुम्हें तो हम समझते हैं न कि वे जो सयाने हैं ।
तुम्हारी राह में उलझी निगाहों की खुमारी को
बहुत कुछ लोग कहते हैं , बहुत कुछ लोग जाने हैं ॥
तुम्हारे जुल्फ की खुशबू नहीं कोई चुरा सकता
तुम्हारा हो गया है जो वही बस इसको पा सकता ।
यही तो चीज है जिसके लिए मयखाने होते हैं
छलकते जाम होते हैं और पैमाने होते हैं ।
झलक अपना दिखाई हो तो बस इतना सिला करना
मेरे खाबों में ही पर रोज तुम मुझसे मिला करना ।
तेरी चाहत में अपनी भी कलम को आजमाऊँ मैं
खुदा के वास्ते जानम शुरू वह सिलसिला करना ॥
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