Tuesday, July 26, 2011

थरथराती उदासियाँ लेकर

थरथराती उदासियाँ लेकर , तेरी यादों की दास्ताँ लेकर ,
जा रहे गुमशुदा जमाने से , जैसे मुट्ठी में अपनी जाँ लेकर ।
मैंने सजदे किये बताऊँ क्या , नाम तेरा कहाँ - कहाँ लेकर ,
चुभती आंखों में हैं कई सपने , बिखरे शीशे का एक जहाँ लेकर ।
वैसे तन्हा चले थे महफ़िल से , अपनी आहों का आसमाँ लेकर ।
पास आती है बारहा ये हवा , तेरी साँसों की दास्ताँ लेकर ।

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