छूना चाहती है मुझे
कोई उदास छट पटाहट ,
लेकर तेरा नाम तन्हाइयों में
उतर आती है
एक चिरसंगिनी की तरह
थाम लेती है
मेरा दामन ।
लोग कहते हैं
बचो इन उदासियों से
पर
मैं विवश हूँ ;
इन उदासियों में तेरी खुसबू है
एक अनमोल
दौलत की तरह हैं
मेरे पास
तुमसे मिली
ये उदासियाँ !
man ko chhoti aapki rachna bahut sundar lagi .badhai .
ReplyDeletedhanywaad!
ReplyDeleteदिल में प्रवेश करती हुई..
ReplyDeleteAmritaji, dhanywaad!
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