तेरी तन्मयता का कोई रहा राज गहरा होगा ,
दूर ख्यालों का एक सागर कहीं शांत ठहरा होगा .
ऐसा भी एक दिन आयेगा दीवानों की बस्ती में
गली-गली को कौन पूछता , साँसों पर पहरा होगा .
जिसकी आँखों के आगे बस झील दिखाई देती है ,
उसकी चारों ओर यकीं मानो केवल सहरा होगा .
दूरी या फिर अब्र कह्कसाँ रहे रोकते हों लेकिन ,
अंगडाई लेती दरिया में चाँद रात उतरा होगा .
वैसे तो जो मिले कभी थे , टीस नहीं उनकी बाकी ,
एक जख्म सहला कर देखो लेकिन कहीं हरा होगा .
अरसे से अपनी प्यासों को पीकर हूँ मयखाने में ,
पैमाने को लगता है जी मेरा किन्तु भरा होगा .
देखा था लोगों ने वह तो सपने में मुस्काता था ,
लम्हा तेरे साथ एक शायद कोई गुजरा होगा .
मेरा दिल जो नहीं सुन सका तेरे नगमों की दस्तक ,
खोया था वह नहीं कहीं बस थोडा-सा बहरा होगा .
आता हूँ नित यही सोचकर अंतर्नत (इन्टरनेट) के आँगन में ,
मिल जाएगा कोई साथी जो भूला बिसरा होगा .
दूर ख्यालों का एक सागर कहीं शांत ठहरा होगा .
ऐसा भी एक दिन आयेगा दीवानों की बस्ती में
गली-गली को कौन पूछता , साँसों पर पहरा होगा .
जिसकी आँखों के आगे बस झील दिखाई देती है ,
उसकी चारों ओर यकीं मानो केवल सहरा होगा .
दूरी या फिर अब्र कह्कसाँ रहे रोकते हों लेकिन ,
अंगडाई लेती दरिया में चाँद रात उतरा होगा .
वैसे तो जो मिले कभी थे , टीस नहीं उनकी बाकी ,
एक जख्म सहला कर देखो लेकिन कहीं हरा होगा .
अरसे से अपनी प्यासों को पीकर हूँ मयखाने में ,
पैमाने को लगता है जी मेरा किन्तु भरा होगा .
देखा था लोगों ने वह तो सपने में मुस्काता था ,
लम्हा तेरे साथ एक शायद कोई गुजरा होगा .
मेरा दिल जो नहीं सुन सका तेरे नगमों की दस्तक ,
खोया था वह नहीं कहीं बस थोडा-सा बहरा होगा .
आता हूँ नित यही सोचकर अंतर्नत (इन्टरनेट) के आँगन में ,
मिल जाएगा कोई साथी जो भूला बिसरा होगा .